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Love You Dilli |
आज दिल्ली 100 साल की हो गई है। सभी न्यूज चैनल और अखबार दिल्ली के इतिहास को अपने-अपने तरीके से सामने ला रहे हैं लेकिन मुझे लगता है दिल्ली हर एक के लिए अपने नजरिए से खास है। कोई और शहर में ये बात ही नहीं है जो दिल्ली में है। किसी और शहर में जाने के बाद कुछ दिन तो बहुत अच्छे लगते हैं पर फिर लगता है कि अपनी दिल्ली ही सबसे अच्छी है। यहां केस्ट्रीट फूड से लेकर शॉपिंग, दोस्तों के साथ बैठकर गपशप के अड्डों से मेट्रो का खूबसूरत सफर, दिल्ली की यही बातें इसे दूसरे शहरों से अलग बनाती है और बाहर से आकर भी लोग इस शहर को अपना बना लेते हैं। घंटों बाराखंबा रोड के ऑक्सफोर्ड बुक शॉप में बैठकर किताबों में डूबना हो या फिर दोस्तों के साथ कनॉट प्लेस की गलियारों में तफरी करनी हो, कॉफी होम में बैठकर नूडल्स खाने हो या फिर खादी भंडार में शॉपिंग करनी हो दिल्ली की ये बात किसी और शहर में शायद ही मिले। यही नहीं किसी भी धर्म का त्योहार ही क्यों न हो दिल्ली पूरी तरह से उसके रंग में रंगी होती है। एक नजर में क्यों है दिल्ली मेरे लिए खास --
1. मेरी कॉलोनी जहां पूरा बचपन बीता
2. महाराजा अग्रसेन कॉलेज और कॉलेज के पास बना पार्क, आचार्यनिकेतन मार्केट, कॉलेज का बस स्टॉप
3. दिल्ली की बसें और अब मेट्रो
4. यूनिवर्सिटी एरिया, टॉम अंकल की मैगी
5. कमला नगर, सरोजिनी नगर, लाजपत नगर, लक्ष्मी नगर के बाजार जहां सीमित बजट में सब कुछ मिल जएगा
6. वी3एस मॉल के फूड कोर्ट में मेरा फेवरेट पास्ता कॉर्नर
7. लक्ष्मी नगर में ही मेरी फेवरेट फिंगलीशियस केक शॉप
8. शकरपुर का कचौड़ी वाला
9. मंडी हाउस और वहां के थिएटर
10. कनॉट प्लेस के गलियारे, ब्रांडेड शॉपिंग के लिए शोरूम
11. हनुमान मंदिर की कचौडिय़ां और वहां लगने वाली मेंहदी
12. जनपथ की स्ट्रीट शॉपिंग
13. गोल मार्केट और वहां के फूड ज्वाइंट्स
14. दिल्ली के हर कोने में मिलने वाला स्ट्रीट फूड
15. निजामुद्दीन का चिकन वाला, करीम का खाना
16. पुरानी दिल्ली की रौनक, वहां की हर गली में मिलने वाला स्ट्रीट फूड, पुराने जलेब की दुकान, और खासतौर पर पुरानी दिल्ली का करीम
17. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में शोरमा की दुकान
18. इंडिया गेट में शाम की वॉक
19. निजामुद्दीन की दरगाह
20. सफदरजंग मकबरे में दोस्तों के संग मस्ती
21. साल में एक बार लगने वाला ट्रेड फेयर
22. बचपन में मम्मी-डैडी के साथ अप्पूघर की मौज-मस्ती
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लिस्ट बहुत लंबी है और उसे लिखते लिखते दिल्ली का दूसरा जन्मदिन आ जाएगा।