Tuesday, December 20, 2011

ब्रेक...ब्रेक


deepika n Ahmad sahab with Aloo chat 
नॉट प्लेस से नोएडा का ऑफिस, लगता है जैसे किसी ने अचानक किसी जंगल में फेंक दिया हो। इस सेक्टर में न तो इंसान दिखते हैं न ही कोई चहल-पहल। छह महीने हो गए हैं इस ऑफिस में लेकिन मन ही नहीं लग रहा है। कनॉट प्लेस में मेट्रो और बस का सफर था तो यहां लदे हुए ऑटो का एक्साइटमेंट। यही नहीं ऑटो में बैठकर आप किसी से फोन पर बात नहीं कर सकते, ऑटो वालों के पसंदीदा गानों की आवाज ही इतनी होती है कि फोन काटने के अलावा कोई उपाय नहीं होता। अपने फोन के गानों के कलेक्शन को आखिरी बार कब सुना है याद ही नहीं है। ऊपर से घंटों जाम, अगर ऑटो वाले को धीरे चलाने बोलो तो कहेंगे 'क्या मैडम हमारी जान भी है तो है, कुछ नहीं होगा, आराम से बैठो।'
इस शनिवार जब मेरी छुट्टी थी तो मन किया फौरन कनाट प्लेस पहुंच जाऊं। दीपिका को फोन आया और मै दोपहर को चल पड़ी मेट्रो में सवार होकर कनॉट प्लेस, मेट्रो में अपने फोन के गानों को सुना, लेडीज कोच में बैठीं लड़कियों और आंटी की बातों की तरफ भी ध्यान गया। :) :)
किसी के पास दोस्तों की बातें तो कोई बॉय फ्रेंड को लेकर परेशान, किसी के पास बच्चों की आदतों की बातें तो किसी के पास पति की। आनंद विहार से राजीव चौक इन सब बातों में ही आ गया। दीपिका से बहुत दिन बाद मिली और मिलते ही हमारी शरारतें, बच्चों वाली हंसी, बे सिर-पैर की बातें, ढेर सारी गप्प, बॉयफ्रेंड की बुराई, कनाट प्लेस के गलियारों की सैर ,सेंट्रल पार्क में चल रहे यूथ फेस्टीवल का नजारा, वहां का आलू चाट, सड़क के किनारे की चाय और हमारी बकवास....
इन सब में दोपहर से रात कैसे हुई पता ही नहीं चला। बहुत दिन बाद नोएडा वाले रूटीन से अलग नॉर्मल जिंदगी और इस तरह एक छुट्टी से मै फिर से पूरे हफ्ते नोएडा जाने के लिए तैयार हो गई। ऊफ !!! कभी-कभी ब्रेक कितना जरूरी होता है ना।


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