किताब: तमन्ना तुम अब कहां हो
लेखक: निधीश त्यागी
प्रकाशक: पेंगुइन बुक्स
कीमत: 150 रुपये
देर रात पार्टी से लौटते वक्त उसकी कार के रेडियो में वह गाना बजने लगा. बाहर बारिश हो रही थी. ऐसा ही कोई सीन, या इससे मिलता-जुलता, आपकी जिंदगी में भी हुआ ही होगा. आज भी बारिश और पसंदीदा गाने की जुगलबंदी हो जाए तो कोई अपना याद आने लगता है. निधीश त्यागी ने किताब 'तमन्ना तुम अब कहां हो' में हमारी जिंदगी के कुछ ऐसे ही सच्चे पलों को उकेरा है. किताब रिश्तों के बारे में बात करती है और प्यार, वफा, धोखा, टूटे सपने, अधूरी ख्वाहिशों, खामोशी, संवाद और चीख के कुछ टुकड़ों को समेटे हुए है. कुछ जगह पर कुछ सच इतने कड़वे कहे गए हैं कि पढ़कर आप असहज हो जाएंगे. हो सकता है कि अपनी जिंदगी का कोई हिस्सा भी आपको इस किताब में मिल जाए.
'तमन्ना तुम अब कहां हो' में अगर आप तमन्ना नाम की किसी नायिका को ढूंढेंगे तो नहीं मिलेगी. क्योंकि यह जिंदगी की कई 'तमन्नाओं' की कहानी है. अच्छी बात यह है कि छोटे-छोटे टुकड़ों में बात कही गई, जिससे इसे पढ़ना और भी आसान हो गया है. एक कहानी पढ़ने के बाद एक लालच अगली कहानी के लिए आपके मन में पैदा होता है जो आखिरी पन्ने पर जाकर भी खत्म नहीं होता. ये कहानियां आपको यादों की बोसीदा गलियों में घुमाएंगी, लंबे रिलेशनशिप के बाद होने वाले ब्रेकअप-सी टीस देंगी, दिल के हजार टुकड़े करेगी और सीने पर चोट करेंगी. इसकी कई कहानियां आपको अपने आस-पास की लगने लगेंगी.
जिंदगी के तनाव को लेखक ने इतने सरल अंदाज में बयां किया है कि दस शब्दों में एक कड़वी सच्चाई शुरू होकर खत्म हो जाती है. एक जगह वह लिखते हैं-
उसने अपने मोबाइल पर टाइप किया तलाक़...तलाक़...तलाक़ और ड्राफ्ट में सेव करके रख लिया.
एक जगह लिखा है,
यह लगभग तयशदा है कि मेरी बीवी मुझसे प्यार नहीं करती.
ये पंक्तियां अपने आप में कुछ बदसूरत लेकिन सच्ची कहानियां समेटे हुए हैं. सबकी व्याख्या आप अपने हिसाब से कर सकते हैं. कहीं-कहीं कुछ-कुछ एब्स्ट्रैक्ट भी लग सकता है. किताब छोटे-छोटे चैप्टर में बांटकर लिखी गई है. एक तीन लाइन का चैप्टर भी है, जिसका शीर्षक है- 'उसने मुझे बास्टर्ड कहा!'
'उसने मुझे बास्टर्ड कहा!
'बास्टर्ड!'
'क्या??'
'बास्टर्ड!!'
और दोनों हंसने लगे. उसके पेट में यकायक सारी तितलियां उड़ने लगीं. उसकी हथेलियां उन तितलियों की पुकार सुनती रहीं.
बहुत रोज़ बाद तक.
अगर बात भाषा की करें तो इसमें एक नया जायका, नया रंग देखने को मिलेगा. शुद्ध हिंदी नहीं मिलेगी. आपको समझ आने वाली भाषा है. यह बात एक कहानी के इस शीर्षक से ही साफ हो जाती है- 'वे जोरों से हंसते भी नहीं थे. बड़े से बड़े मजाक पर स्माइली :-) टाइप करके काम चल जाता था.
इस किताब में हर कहानी का शीर्षक भी अपने आप में एक कहानी है. ऐसी कहानी जो हमारी और आपकी जिंदगी से जुड़ी हुई मालूम होगी. जैसे इस शीर्षक को ही ले लीजिए- 'जहां तुम खड़ी हो, दुनिया वहीं ख़त्म होती है और शुरू भी'
किताब के एक चैप्टर में महज दो-दो या तीन-तीन लाइन में दिल तोड़ने वाली 69 कहानियां एक साथ है.
* साल भर पहले मैंने अबॉर्शन करवाया था. अब भी लगता है कि दुनिया में मुझसे बुरा कोई नहीं है.
* मेरा पति मेरी जिंदगी का प्यार है. पर क़सम से मैं उसके चेहरे पर हमेशा मुझसे शादी करने और बच्चे करने का पछतावा देखती हूं. मैं मर जाती हूं.
'तमन्ना तुम अब कहां हो' की कहानियां अनुभवों का सफर है, इसके अहसास और संवाद दिल की गहराई तक उतरते हैं. कई कहानियां शुरू होती है, बढ़ती है, लेकिन सुखांत तक नहीं पहुंचती है. कहीं ये बेतरतीब हैं तो कहीं अधूरी. कई प्रेम कहानियां तो सपनों के कश्मकश में ही उलझ जाती है तो किसी कहानी में किसी के लिए शुरुआती आकर्षण मजहब के पेच में उलझकर अंजाम तक नहीं पहुंच पाता. सभी एहसासों से रूबरू होने के लिए आपको 188 पन्नों की ये किताब पढ़नी होगी.
क्यों पढ़ें
अगर आपने कभी प्यार किया है या इसके बारे में सोचा है, धोखा खाया है, या कभी दोस्ती और प्यार के बीच में अटक गए हैं तो इसे जरूर पढ़ें.
क्यों ना पढ़ें
अगर प्यार-व्यार और रिश्तों-एहसासों की बातें बोर करती हों तो पढ़ने की जहमत न करें.
लेखक: निधीश त्यागी
प्रकाशक: पेंगुइन बुक्स
कीमत: 150 रुपये
देर रात पार्टी से लौटते वक्त उसकी कार के रेडियो में वह गाना बजने लगा. बाहर बारिश हो रही थी. ऐसा ही कोई सीन, या इससे मिलता-जुलता, आपकी जिंदगी में भी हुआ ही होगा. आज भी बारिश और पसंदीदा गाने की जुगलबंदी हो जाए तो कोई अपना याद आने लगता है. निधीश त्यागी ने किताब 'तमन्ना तुम अब कहां हो' में हमारी जिंदगी के कुछ ऐसे ही सच्चे पलों को उकेरा है. किताब रिश्तों के बारे में बात करती है और प्यार, वफा, धोखा, टूटे सपने, अधूरी ख्वाहिशों, खामोशी, संवाद और चीख के कुछ टुकड़ों को समेटे हुए है. कुछ जगह पर कुछ सच इतने कड़वे कहे गए हैं कि पढ़कर आप असहज हो जाएंगे. हो सकता है कि अपनी जिंदगी का कोई हिस्सा भी आपको इस किताब में मिल जाए.
'तमन्ना तुम अब कहां हो' में अगर आप तमन्ना नाम की किसी नायिका को ढूंढेंगे तो नहीं मिलेगी. क्योंकि यह जिंदगी की कई 'तमन्नाओं' की कहानी है. अच्छी बात यह है कि छोटे-छोटे टुकड़ों में बात कही गई, जिससे इसे पढ़ना और भी आसान हो गया है. एक कहानी पढ़ने के बाद एक लालच अगली कहानी के लिए आपके मन में पैदा होता है जो आखिरी पन्ने पर जाकर भी खत्म नहीं होता. ये कहानियां आपको यादों की बोसीदा गलियों में घुमाएंगी, लंबे रिलेशनशिप के बाद होने वाले ब्रेकअप-सी टीस देंगी, दिल के हजार टुकड़े करेगी और सीने पर चोट करेंगी. इसकी कई कहानियां आपको अपने आस-पास की लगने लगेंगी.
जिंदगी के तनाव को लेखक ने इतने सरल अंदाज में बयां किया है कि दस शब्दों में एक कड़वी सच्चाई शुरू होकर खत्म हो जाती है. एक जगह वह लिखते हैं-
उसने अपने मोबाइल पर टाइप किया तलाक़...तलाक़...तलाक़ और ड्राफ्ट में सेव करके रख लिया.
एक जगह लिखा है,
यह लगभग तयशदा है कि मेरी बीवी मुझसे प्यार नहीं करती.
ये पंक्तियां अपने आप में कुछ बदसूरत लेकिन सच्ची कहानियां समेटे हुए हैं. सबकी व्याख्या आप अपने हिसाब से कर सकते हैं. कहीं-कहीं कुछ-कुछ एब्स्ट्रैक्ट भी लग सकता है. किताब छोटे-छोटे चैप्टर में बांटकर लिखी गई है. एक तीन लाइन का चैप्टर भी है, जिसका शीर्षक है- 'उसने मुझे बास्टर्ड कहा!'
'उसने मुझे बास्टर्ड कहा!
'बास्टर्ड!'
'क्या??'
'बास्टर्ड!!'
और दोनों हंसने लगे. उसके पेट में यकायक सारी तितलियां उड़ने लगीं. उसकी हथेलियां उन तितलियों की पुकार सुनती रहीं.
बहुत रोज़ बाद तक.
अगर बात भाषा की करें तो इसमें एक नया जायका, नया रंग देखने को मिलेगा. शुद्ध हिंदी नहीं मिलेगी. आपको समझ आने वाली भाषा है. यह बात एक कहानी के इस शीर्षक से ही साफ हो जाती है- 'वे जोरों से हंसते भी नहीं थे. बड़े से बड़े मजाक पर स्माइली :-) टाइप करके काम चल जाता था.
इस किताब में हर कहानी का शीर्षक भी अपने आप में एक कहानी है. ऐसी कहानी जो हमारी और आपकी जिंदगी से जुड़ी हुई मालूम होगी. जैसे इस शीर्षक को ही ले लीजिए- 'जहां तुम खड़ी हो, दुनिया वहीं ख़त्म होती है और शुरू भी'
किताब के एक चैप्टर में महज दो-दो या तीन-तीन लाइन में दिल तोड़ने वाली 69 कहानियां एक साथ है.
* साल भर पहले मैंने अबॉर्शन करवाया था. अब भी लगता है कि दुनिया में मुझसे बुरा कोई नहीं है.
* मेरा पति मेरी जिंदगी का प्यार है. पर क़सम से मैं उसके चेहरे पर हमेशा मुझसे शादी करने और बच्चे करने का पछतावा देखती हूं. मैं मर जाती हूं.
'तमन्ना तुम अब कहां हो' की कहानियां अनुभवों का सफर है, इसके अहसास और संवाद दिल की गहराई तक उतरते हैं. कई कहानियां शुरू होती है, बढ़ती है, लेकिन सुखांत तक नहीं पहुंचती है. कहीं ये बेतरतीब हैं तो कहीं अधूरी. कई प्रेम कहानियां तो सपनों के कश्मकश में ही उलझ जाती है तो किसी कहानी में किसी के लिए शुरुआती आकर्षण मजहब के पेच में उलझकर अंजाम तक नहीं पहुंच पाता. सभी एहसासों से रूबरू होने के लिए आपको 188 पन्नों की ये किताब पढ़नी होगी.
क्यों पढ़ें
अगर आपने कभी प्यार किया है या इसके बारे में सोचा है, धोखा खाया है, या कभी दोस्ती और प्यार के बीच में अटक गए हैं तो इसे जरूर पढ़ें.
क्यों ना पढ़ें
अगर प्यार-व्यार और रिश्तों-एहसासों की बातें बोर करती हों तो पढ़ने की जहमत न करें.