Monday, May 7, 2012

मोहब्बत मिली मंजिल नहीं


http://in.jagran.yahoo.com/cinemaaza/cinema/news/201_203_214408.htm

नई दिल्ली। देव आनंद और सुरैया की मोहब्बत किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है। दोनों में प्यार तो हुआ लेकिन हिंदू-मुसलिम की दीवार के कारण दोनों की मोहब्बत को मंजिल नहीं मिल पाई। प्यार को घर वालों की रजा की मुहर नहीं मिली और एक फिल्मी अंदाज में दोनों अलग हो गए। अपनी किताब रोमांसिंग विद लाइफ में भी देव आनंद ने अपने और सुरैया के रिश्ते के बारे में बताया।
40 के दशक में एक स्टाइलिश हीरो ने बॉलीवुड में अपनी पारी शुरू की। उस दौर में देव आनदं ने अन्य अभिनेताओं के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। इसी समय अभिनेत्री सुरैया के साथ देवआनंद को फिल्मों में काम करने का मौका मिला। देव आनंद ने अपने आप को सुरैया के साथ काम के मौके को लेकर खुशनसीब माना। उस समय सुरैया का करियर देव आनंद से ज्यादा अच्छा था। इन्हीं फिल्मों के शूटिंग के दौरान देवआनंद और सुरैया का प्यार परवान चढ़ा।
सुरैया-देवआनंद ने एक साथ सात फिल्मों में काम किया। इनमें विद्या, जीत, शेर, अफसर, नीली, दो सितारे, और 1951 में सनम। सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर खूब चली। 1948 में फिल्म विद्या में गाने किनारे-किनारे चले जाएंगे.. के दौरान सुरैया को देवआनंद से प्यार हुआ। फिल्म की शूटिंग के दौरान नाव पानी में पलट गई और देव आनंद ने पानी में कूदकर सुरैया को डूबने से बचाया। जीत फिल्म के सेट पर देवआनदं ने सुरैया से अपने प्यार का इजहार किया और सुरैया को तीन हजार रुपयों की हीरे की अंगूठी दी।
सुरैया की नानी को ये रिश्ता नामंजूर था, वो एक हिंदू-मुसलिम शादी के पक्ष में नहीं थीं। कहा जाता है कि उनकी नानी को फिल्म में देव आनंद के साथ दिए जाने वाले रोमांटिक दृश्यों से भी आपत्ति थी। वो दोनों की मोहब्बत का खुलकर विरोध करतीं थीं। यही नहीं बाद में उन्होंने देव आनंद का सुरैया से फोन पर बात करना भी बंद करवा दिया था। उन्होंने देवआनंद को सुरैया से दूर रहने की हिदायत और पुलिस में शिकायत दर्ज करने की धमकी तक दे डाली। नतीजतन दोनों ने अलग होने का फैसला किया। इसके बाद दोनों ने एक भी फिल्मों में साथ काम नहीं किया और ताउम्र सुरैया ने किसी से शादी नहीं की। बड़े पर्दे पर दोनों की आखिरी फिल्म दो सितारे थी। कहा जाता है कि दोनों के अलग होने के फैसले के बाद सुरैया ने देव आनंद की दी हुई अंगूठी को समुद्र के किनारे बैठकर समुद्र में फेंक दिया। देव आनदं ने कभी भी अपने और सुरैये के रिश्ते को किसी से छुपाया नहीं।
यही नहीं अपनी किताब रोमांसिंग विद लाइफ में देव आनंद ने अपने और सुरैया के रिश्ते के बारे में भी बताया और यह बात भी लिखी कि सुरैया के साथ अगर जिंदगी होती तो वो कुछ और होती। सुरैया के जाने के बाद वो दौर देवआनंद के लिए मुश्किल था और वो इस दुख से उबर ही नहीं पा रहे थे। उन्होंने खुद को काम में बहुत व्यस्त किया लेकिन उनका दिल डूबता जा रहा था। आखिरीकार एक दिन वो अपने भाई चेतन आनंद के कंधे पर फूट-फूटकर रो पड़े। चेतन अपने भाई और सुरैया के रिश्ते के बारे में जानते थे। उन्होंने देव आनंद को संभाला और समझाया कि सुरैया के साथ बिताई जिंदगी तुम्हें और मजबूत बनाएगा, तुम जिंदगी के बड़ी तकलीफों का सामना कर पाओगे।
-महुआ बोस

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